यदि भाग्य रेखा के उदगम पर त्रिभुज का चिन्ह हो तो वह जातक अपनी प्रतिभा से बहुत अधिक उन्नति करता चला जाता है ।
यदि भाग्य रेखा की समाप्ति पर तारे का चिन्ह हो तो उसकी वृद्धावस्था अत्यंत कष्ट मय होती है और बार बार शारीरिक तकलीफो से गुजरना पड़ता है ।
यदि भाग्य रेखा मंगल पर्वत से निकलती हो तो तो बहुत शुभ मानी जाती है परन्तु ऐसे जातक का भाग्योदय यौवनावस्था के बाद ही होता है शिक्षा के क्षेत्र में इनको बार बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है ठंठा ऐसे जातक उच्च शिक्षा प्राप्त नही कर पाते है ।
यदि भाग्य रेखा प्रथम मणिबंध से भी निचे उसका उदगम स्थल हो तो उसे अपने जीवन में बहुत जयदा कष्ट उठाने पड़ते है मानसिक और आर्थिक कष्ट ज्यादा होने की संभावना होती है ।
दि भाग्य रेखा से कुछ शाखाये निकल कर ऊपर की ओर जाती हे तो उस जातक को बहुत अधिक धन प्राप्त होता है और आकस्मिक धन लाभ की संभावना भी बढ़ जाती है ।
यदि भाग्य रेखा ह्रदय रेखा को काटते समय जंजीर के सामान बन जाये तो उसे प्रेम के क्षेत्र में बदनामी का सामना करना पड़ता है और बार बार प्रेम के लिए तरसना पड़ता है ।
यदि भाग्य रेखा लाल रंग की हो तथा मध्यमा ऊँगली के प्रथम पोर तक पहुंच जाए तो उसकी व्यक्ति की मृत्यु दुर्घटना से होने की संभावना रहती है ।